पैसों के बाजार में
रिश्तों का भी मोल लगा दिया,
पहले कहते थे कभी अपना हमें
आज परायों की पंक्ति में गिना दिया,
कहते थे कभी
हर मोड़ पे देंगे साथ,
आज बीच राह में ही
अपना हाथ छुड़ा दिया,
पैसों के बाजार में
रिश्तों का भी मोल लगा दिया...
जो कहते थे हर
दुःख में निभाएंगे साथ,
आज उन्होंने ही खून
के आंसू रुला दिया,
जो किये थे अनगिनत वादें कभी,
आज एक पल में ही भुला दिया,
पैसों के बाजार में
रिश्तों का भी मोल लगा दिया....
अब तो बस टटोलती हूँ
अपने यादों के पन्नो को,
मगर समझ न आया
की गलती कहाँ हुई,
शायद आज के बदलते दौर में
रिश्तों की भी कोई एहमियत नहीं
शायद इसलिए....
पैसों के बाजार में
रिश्तों का भी मोल लगा दिया !
P.C Pinterest
Nice lines and well written